आकलन एवं मूल्यांकन

आकलन एवं मूल्यांकन

आकलन एवं मूल्यांकन ( Assessment and Evaluation)-

सामान्यतः हम देखते हैं कि मापन मूल्यांकन व आकलन को हम एक ही अर्थ में लेते हैं, परन्तु ऐसा नहीं कि ये प्रत्यय एक समान नहीं हैं। मूल्यांकन का सम्बन्ध छात्रों की उपलब्धि से है। आकलन से अभिप्राय आँकड़ों के विश्लेषण व उनको व्याख्या से है। आकलन का प्रमुख उद्देश्य शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में सुधार लाना व बच्चों के अभिभावकों को अधिगम प्रक्रिया में बालक की भूमिका के विषय में बताना तथा उसकी कमियों को बताना है।

मूल्यांकन

मूल्यांकन से अभिप्राय है कि छात्र ने किस सीमा तक ज्ञान प्राप्त किया है, NCERT के अनुसार- मूल्यांकन एक ऐसो सतत् व व्यवस्थित प्रक्रिया है, जो देखती है कि-
(i)निर्धारित शैक्षिक उद्देश्यों की प्राप्ति किस सीमा तक हो रही है?
(ii) कक्षा में दिये गये अधिगम अनुभव कितने प्रभावशाली रहे हैं?
(iii) शिक्षा के लक्ष्य कितने अच्छे ढंग से पूर्ण हो रहे हैं?

इस प्रकार मूल्यांकन बच्चे के सम्पूर्ण व्यक्तित्व व अधिगम प्रक्रिया का होता है। अधिगम प्रक्रिया के समस्त अंगों का मूल्यांकन समाहित है।

मूल्यांकन प्रक्रिया के सोपान

1.उद्देश्यों का निर्धारण-
(i) सामान्य उद्देश्यों का निर्धारण
(ii) विशिष्ट उद्देश्यों का निर्धारण व परिभाषीकरण

2.अधिगम क्रियाओं का आयोजन
(i) शिक्षण बिन्दुओं का चयन करना
(ii) उपयुक्त अधिगम क्रियायें आयोजित करना

3. मूल्यांकन-
(i) छात्रों के व्यवहार परिवर्तन को जानना
(ii) प्राप्त साक्ष्य के आधार पर मूल्यांकन
(iii) परिणामों को पृष्ठपोषण के रूप में प्रयुक्त करना

मूल्यांकन के उद्देश्य-

1. छात्रों की वृद्धि तथा विकास में सहायता करना ।
2.छात्रों द्वारा अर्जित ज्ञान को जांचना ।
3. छात्रों की वृद्धि व विकास में आये अवरोधों को जानना ।
4. छात्रों की शैक्षिक प्रगति में बाधक तत्त्वों की जानकारी लेना ।
5. छात्रों की व्यक्तिगत विभिन्नता को जानना ।
6. शिक्षण, प्रभावशीलता को ज्ञात करना ।
7. छात्रों को अधिगम हेतु प्रेरित करना ।
8. पाठ्यक्रम में सुधार हेतु आधार तैयार करना ।
9. शिक्षण विधियों तथा सहायक सामग्री की उपयोगिता को जांचना ।
10. छात्रों की योग्यता आधारित वर्गीकरण करना ।

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सतत् व व्यापक मूल्यांकन

सतत्-व्यापक मूल्यांकन का प्रत्यय वस्तुतः परीक्षा सुधार के दो सिद्धान्तों पर निर्भर है। प्रथम, जो व्यक्ति अध्यापन करे, वह व्यक्ति मूल्यांकन का कार्य भी करे तथा द्वितीय, मूल्यांकन कार्य सत्रांत में न होकर पूरे सत्र के दौरान चलता रहे । इस प्रणाली में छात्रों की शैक्षिक प्रगति का मूल्यांकन शिक्षण कार्य कर रहे अध्यापकों द्वारा सत्र के मध्य में थोड़े-थोड़े अन्तराल पर किया जाये व छात्रों को उनकी कमियों व सफलता की जानकारी दी जाये। अध्यापकों के द्वारा छात्रों की शैक्षिक प्रगति का मूल्यांकन करने के लिए लिखित परीक्षाओं के अतिरिक्त मापन व मूल्यांकन की विभिन्न प्रविधियों व उपकरणों का प्रयोग किया जा सकता है।

यह मूल्यांकन छात्रों के साथ-साथ अध्यापकों को भी अपनी शिक्षण योजना में सुधार करने के अवसर देता है। सतत् व व्यापक मूल्यांकन प्रणाली उस प्राचीन परम्परा का ही अधिक व्यवस्थित व औपचारिक रूप है जिसमें अध्यापकगण दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक, त्रैमासिक, अर्द्धवार्षिक तथा वार्षिक परीक्षाओं द्वारा अपने छात्रा के ज्ञान, बोध एवं कौशल का मापन करते थे व उन्हें सुधार हेतु आवश्यक पृष्ठपोषण प्रदान करते थे।

सतत् व व्यापक मूल्यांकन ही छात्रों का व्यापक दृष्टि से मूल्यांकन करने में समर्थ हो सकता है। बुद्धि, रुचि, अभिवृत्ति, व्यक्तिगत व सामाजिक गुण, नैतिक चरित्र, पाठ्य-सहगामी क्रियाओं में सहभागिता जैसे व्यक्तित्व आयामों की जानकारी केवल व्यापक मूल्यांकन द्वारा ही संभव है।

सतत् व व्यापक मूल्यांकन प्रणाली की सार्थकता अध्यापकों के ऊपर निर्भर है। यदि अध्यापक कर्त्तव्य परायणता, निष्ठा व विश्वास द्वारा सतत् मूल्यांकन का कार्य सम्पादित करें तो यह प्रणाली शिक्षा प्रणाली में एक क्रान्तिकारी परिवर्तन ला सकेगी।

मूल्यांकन की प्रविधियां

1. परीक्षा-

  • लिखित
  • मौखिक
  • निबंधात्मक
  • वस्तुनिष्ठ
  • प्रयोगात्मक
  • निबंधात्मक

2. अवलोकन

  • मापनी
  • चैक लिस्ट
  •  संचयी अभिलेख
  • एनेक डोटल आलेख

3. स्व-सूचना-

  • प्रश्नावली
    -खुली
    -बन्द
  • अभिवृत्ति मापनी
  • समाजमिति तालिका

4. साक्षात्कार-

  • नैदानिक साक्षात्कार
  • शोध साक्षात्कार
  • निदानात्मक साक्षात्कार
  • केन्द्रित साक्षात्कार

5. प्रक्षेपण-

  • मसिलक्ष्य प्रत्यक्षीकरण
  • चित्र व्याख्या
  • वाक्यपूर्ति

6. समाजमिति-

  • सोशियोग्राम
  • समाजमिति

मात्रात्मक मापन के लिये अध्यापक लिखित व मौखिक परीक्षणों का उपयोग कर सकता है। जबकि मापन के लिये
अवलोकन समाजमिति, स्वसूचना साक्षात्कार जैसी तकनीकें प्रयोग की जा सकती हैं।

 

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