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प्रतिभाशाली बालक (Gifted Child or Talented Child):
प्रतिभा सम्पन्नता एक ऐसी धनात्मक विशिष्टता है जो कि बालक के व्यक्तित्व में निहित अद्भुत योग्यताओं के कारण उसे सामान्य व अन्य प्रकार विशिष्ट बालकों से भिन्न दर्शाती है तथा उसके शीघ्र सीखने में सहायक है।
प्रतिभाशाली बालकों की बुद्धि-लब्धि सामान्य बालकों से अधिक होती है। इनमें प्रतिभा जन्मजात होती है।
टारेन्स के अनुसार , “ऐसे बालक को प्रतिभाशाली एवं प्रवीण बालक कहा जाता है जो मानव व्यवहार के किसी क्षेत्र में ऐसा निष्पादन करता है, जो समाज के लिए महत्त्वपूर्ण होता है।”
प्रतिभाशाली बालकों की पहचान : प्रत्येक कक्षा या विद्यालय में प्रतिभाशाली छात्र होते हैं। इनका पता लगाना या चयन करना आसान नहीं होता, परन्तु यह अति आवश्यक है, अन्यथा बालक की प्रतिभा दबकर रह जायेंगी। इनकी पहचान के लिए अध्यापक निम्न प्रविधियाँ प्रयोग कर सकता है-
(A) बुद्धि परीक्षण : बुद्धि परीक्षण या परीक्षाओं का प्रयोग कर इनका चयन किया जा सकता है। इन बुद्धि परीक्षणों का व्यक्तिगत तौर पर या समूहों में प्रयोग किया जा सकता है।
(B) उपलब्धि परीक्षाएँ : उपलब्धि परीक्षाओं द्वारा भी प्रतिभावान बालकों को पहचाना जा सकता है। इस प्रकार बालकों की उपलब्धियों का ज्ञान भली-भाँति हो जाता है। उच्च स्तर की उपलब्धि बालकों के प्रतिभावान होने की आशा जागृत करती है।
(C) अभिरुचि परीक्षाएँ : अभिरुचि से विद्यार्थियों के भविष्य की सफलता के बारे में अनुमान लगा सकते हैं क्योंकि अभिरुचियाँ किसी एक विशेष योग्यता से सम्बन्धित होती हैं।
सम्बन्धित व्यक्तियों से सूचनाएँ : प्रतिभाशाली बालकों के बारे में, अध्यापक, पुस्तकालयाध्यक्ष आदि व्यक्तियों से भी सूचनाएँ एकत्रित की जा सकती हैं।
डी हॉन व कफ की सूची : डी हॉन व कफ की प्रतिभाशाली बालकों के विशेषताओं की एक सूची तैयार की, जिसके द्वारा प्रतिभाशाली बालकों को पहचाना जा सकता है-
1. ये स्पष्ट रूप से सोचने, अर्थों को समझने और सम्बन्धों को पहचानने में श्रेष्ठ होते हैं।
2. बिना रटकर समझने में दिखाना।
3.शब्द-ज्ञान विस्तृत होता है।
4. मौलिक चिन्तन कर सकते हैं।
5.सामान्य बुद्धि का प्रयोग अधिक करता है।
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प्रतिभाशाली बालकों की विशेषताएँ
प्रतिभाशाली बालक गुण व व्यवहार में सामान्य बालकों से भिन्न होते हैं। नवीनतम अनुसंधानों ने सिद्ध किया है कि ये बालक औसत प्रतिभा वाले, सामान्य बुद्धि-लब्धि वाले बालकों से ऊँचाई, स्वास्थ्य व शारीरिक संरचना आदि में उच्न होते हैं। ये जल्दी बोलना, चलना, बहुत प्रश्न पूछना, स्वास्थ्य व शारीरिक संरचना में उच्च होते हैं। इनकी विशेषताएँ निम्न हैं-
1.शारीरिक विशेषताएँ-
- शारीरिक विकास तीव्रगति से होता है
- उत्तम शरीर वाले
- सामान्य बालकों से भार, ऊँचाई व शक्ति में अधिक
- जल्दी चलना व बोलना सीखते हैं
- ज्ञानेन्द्रिय विकास भी उत्तम व शीघ्र
- किशोरावस्था के लक्षण शीघ्र उत्पन्न।
2.मानसिक व बौद्धिक विशेषताएँ-
- व्यवस्था, विश्लेषण, स्मरण, संश्लेषण व तर्क की विशेष योग्यता
- सीखने व समझने की असाधारण गति
- अमूर्त तथ्यों को समझने की क्षमता
- शब्दकोश विस्तृत व वाकपटु
- मौलिक चिन्तन, सूक्ष्म व सटीक निरीक्षण शक्ति
- सामान्यतः विज्ञान व गणित में दक्ष
- उच्च बुद्धि-लब्धि
- उच्च सामान्य ज्ञान
3.शैक्षिक विशेषताएँ-
- विद्यालय में नियमित उपस्थिति
- सदैव गृहकार्य करना
- पाठ्यक्रम के अतिरिक्त पुस्तकें पढ़ने में रुचि
- कक्षा में सर्वाधिक अंक पाना
- अन्य प्रतिभाशाली बालकों से प्रतिस्पर्धा रखना
- कम परिश्रम करके अच्छे अंक लाना।
4. व्यक्तित्व सम्बन्धी विशेषताएँ-
- समायोजन की श्रेष्ठ क्षमता
- योजना निर्माण की उत्तम क्षमता
- प्रभावशाली व्यक्तित्व
- उत्तम चरित्र
- शीघ्र निर्णय लेने की क्षमता
- हास-परिहास में भाग लेना
- आत्म-विश्वासी, स्वतंत्र विचार धारा
- प्रश्न पूछने में निपुण
- प्रत्येक कार्य को जिम्मेदारी से पूरा करना।
5.सामाजिक विशेषताएँ-
- दूसरों का सम्मान करना
- विनम्र व आज्ञाकारी
- निष्कपटता व सामाजिक कार्यों को करने को तत्परता
- लोकप्रिय व्यक्तित्व
- नेतृत्व की विशेष योग्यता।
नकारात्मक विशेषताएं
प्रतिभाशाली बालकों को उनकी प्रतिभा का उचित संपोषण व उपयोग ना होने पर तथा उपेक्षा के कारण अक्सर के नकारात्मक विशेषताएँ विकसित हो जाती हैं, जैसे-
- अधीरता
- कभी-कभी समूह से पृथक एकाकी रहना।
- इंषयालु एवं स्वार्थपूर्ण व्यवहार करना।
- लापरवाह व दोषपूर्ण लेखनी ।
- हठ करना व आवश्यकता से अधिक बोलना।
प्रतिभाशाली बालक व शिक्षा
इन बालकों को शिक्षा जटिल व दुरुह कार्य है। इनकी शिक्षा हेतु मुख्य रूप से 3 प्रणालियाँ अपनाई जाती है।
1.प्रभावक व उपयुक्त शिक्षा
(A) निर्धारित आयु से पूर्व ही विद्यालय में प्रवेश ।
(B) उसकी बौद्धिक एवं शैक्षिक योग्यताओं के आधार पर एक ही वर्ष में दो या दो से अधिक कक्षाओं के पाठ्यक्रम का अध्ययन ।
(C) सामान्य से कम समय एवं आयु में किसी भी पाठ्यक्रम को उत्तीर्ण कर सकने की अनुमति।
2.संवर्धित पाठ्यक्रम : इस प्रकार से बालकों को अतिरिक्त व संवर्धित पाठ्यक्रम का प्रावधान निम्न रूपों में किया जा सकता है-
(A) व्यक्तिगत संवर्धित : अतिरिक्त पाठ्यवस्तु का नियोजन करें कि कोई भी प्रतिभाशाली छात्र उसे व्यक्तिगत रूप से लगभग आत्मनिर्भर होकर पूर्ण कर सके।
(B) सामूहिक संवर्धिता : निर्धारित कार्य सामग्री समूह प्रक्रिया के माध्यम से पूर्ण करने में सक्षम हो ।
- अतिरिक्त पठन व लेखन कार्य देना
- अतिरिक्त कौशल व कलाओं को सीखने के लिए प्रोत्साहित करना
- उच्च लक्ष्यों का निर्धारण
- नई योजनायें प्रस्तुत की जाये
- नवीन व विविध शिक्षण पद्धतियाँ
3. विशेष कक्षाएँ व विद्यालय : प्रतिभाशाली बालकों की शिक्षा के लिए विशेष विद्यालयों व कक्षाओं की व्यवस्था के बारे में विद्वान एकमत नहीं है। परन्तु विद्यालयों में प्रतिभाशाली बालकों के लिये अलग कक्षा विस्तृत पाठ्यक्रम, प्रयोगशाला कार्य व प्रतिभा सम्पन्न अध्यापकों से युक्त होती है।
इसके अलावा ऐसे विद्यालय हों जो केवल प्रतिभाशाली बालकों के लिये होते हैं, वहाँ विशेष रूप से प्रतिभाशाली बालकों की आवश्यकताओं व योग्यताओं के अनुरूप शिक्षण होता है।
4.त्वरण प्रक्रिया : इस व्यवस्था में प्रतिभाशाली छात्र को एक सत्र के मध्य में ही एक श्रेणी से दूसरी श्रेणी में यथाशीघ्र त्वरित कर दिया जाता है।
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