मन्द बुद्धि बालक (Mentally Retarded Children)
शैक्षिक दृष्टि से मन्दबुद्धि बालक का अर्थ है वह बालक जिसमें सूझ, क्षमता व ध्यान केन्द्रण क्षमता सामान्य बालक से कम हो। टरमैन के अनुसार, 70 से कम बुद्धि-लब्धि वाले मानसिक रूप से विकलांग कहलाते हैं। अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ मेंटल डेफोशियेन्सी (AAMD) ने मानसिक रूप से मंदित बालक की परिभाषा इस प्रकार दी है-
“मानसिक मंदन मुख्य रूप से औसत से कम बौद्धिक कार्य निष्पादन का संकेत देती है, जो कि अनुकूलन व्यवहार सम्बन्धी दोषों के साथ-साथ ही पाई जाती है, जो कि विकास काल के समय स्फुट होती है।
मन्द बुद्धि बालकों की विशेषताएँ
मन्दबुद्धि बालकों की मुख्य विशेषताएँ निम्न हैं-
1. बौद्धिक न्यूनता:
- निम्न शैक्षिक स्तर
- बुद्धि-लब्धि 70 से कम
- अधिक विस्मरण, दूसरों की सहायता की अपेक्षा
2. अनियन्त्रित मानसिक क्रियाएँ
- मानसिक क्रियाओं पर नियंत्रण नहीं
- अवधान को केन्द्रित नहीं करना
- ध्यान विस्तार भी कम
- सीमित शब्द-भण्डार
3.हीन व्यक्तित्व
- अग्रभावी व्यक्तित्व
- उदासीन, खिन्नमना व शिथिल
- स्पष्ट विचार व्यक्ति करने की क्षमता नहीं
- उत्तरदायित्व की पूर्ति नहीं करते
4.शैक्षिक पिछड़ापन
- सीमित मानसिक क्षमता
- शैक्षिक उपलब्धि न के बराबर
- शिक्षण कार्य कठिन
- रटने की प्रवृत्ति
- मानसिक आयु शारीरिक आयु से कम
5. सीमित प्रेरणाएँ व संवेग
- प्रेरणाएँ साधारण व सीमित, मस्तिष्क सूझ जिज्ञासा व कल्पना-शक्ति से रहित
- संवेगों की कमी
- क्रोध, मोह व लोभ के संवेगों से वंचित
6. कुसमायोजन की स्थिति
- समायोजन निम्न स्तर का
- सामाजिक व्यवहार से अनभिज्ञ
- उचित-अनुचित का ज्ञान नहीं
- समूह में समायोजन नहीं
7.असामान्य शारीरिक रचना
- शारीरिक गठन सामान्य बालकों से भिन्न
- कद नाटा, पैर छोटे, मोटी त्वचा
- उदास चेहरा, शिथिल अंग-प्रत्यंग
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मन्दबुद्धि बालकों का वर्गीकरण-
मन्दगति से सीखने वाला | शिक्षा पाने योग्य मन्दितमना | प्रशिक्षण योग्य मन्दितमना | पराश्रयी या पूर्ण मन्दितमना | |
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मानसिक पिछड़ेपन की रोकथाम व उपचार
1.पृथक्करण (Segregation) : इस प्रक्रिया के तहत मानसिक रूप से पिछड़े बालकों को सामान बालकों से अलग कर दिया जाये व उन्हें विशेष संस्थाओं में रखा जाये।
2.जन्म दर पर नियंत्रण : नसबंदी द्वारा गम्भीर रूप से मानसिक रूप से पिछड़े माता-पिता की नसबंदी कर दें ताकि मानसिक रूप से पिछड़े बालकों का जन्म ही न हो।
3. शिक्षा योजना : इसके अन्तर्गत निम्न बिन्दु आते हैं-
व्यक्तिगत ध्यान : ऐसे बालकों पर अध्यापक विशेष ध्यान दें, इसके लिए कक्षाओं का आकार छोटा होना आवश्यक है।
माता-पिता को शिक्षित करना : मानसिक पिछड़ेपन के लिए माता-पिता को शिक्षित करना आवश्यक है। उन्हें उनके बालकों के बुद्धि स्तर से अवगत कराकर यह भी बताना चाहिए कि वे अपने बालकों के साथ कैसा व्यवहार करें।
विशेष स्कूल व अस्पताल : ऐसे बालकों के लिए विशेष स्कूलों व अस्पतालों की व्यवस्था होनी चाहिए। सामान्य स्कूलों व अस्पतालों में इनकी देखरेख व आवश्यक प्रशिक्षण संभव नहीं।
विशेष शिक्षण विधियाँ : सामान्य शिक्षण विधियां सफल नहीं। विशेष शिक्षण विधियों का प्रयोग करना आवश्यक।
विशेष पाठ्यक्रम : हस्तकला पर आधारित पाठ्यक्रम पर बल दें। पुस्तकीय ज्ञान में ये अधिक उन्नति नहीं कर सकते, हस्तकलाओं के प्रशिक्षण से ये समाज पर बोझ नहीं बनेंगे।
इस प्रकार, हम कह सकते हैं कि इन बालकों की शिक्षा इस प्रकार नियोजित करें कि वह अपने पैरों पर खड़ा हो सके.