BEST शिक्षण सामग्री एवं गतिविधियाँ

शिक्षण सामग्री एवं गतिविधियाँ

शिक्षण सहायक सामग्री (Teaching Aid and activities)

शिक्षण सहायक सामग्री विषय-वस्तु को सरल,रुचिकर, स्पष्ट, प्रभावशाली तथा स्थायी बनाती है।

शिक्षण सहायक सामग्री का महत्व

  • शिक्षण सहायक सामग्रियों से अभिप्रेरणा मिलती है।
  • ये कठिन-से-कठिन विषय-वस्तु को सरल, स्पष्ट,रुचिकर एवं सार्थक बना देती हैं।
  • ये पठन-पाठन में नवीनता लाती हैं।
  • ये शिक्षक के कार्य को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में सहायक होती हैं।
  • इनके प्रयोग से समय और शक्ति की बचत होती है।
  • ये रटने की प्रवृत्ति को कम करती हैं।
  • ये विद्यार्थियों को पुनर्बलन प्रदान करती हैं।
  • ये विद्यार्थियों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ाबा देती है।
  • ये विद्यार्थियों में कल्पनाशक्ति, निरीक्षण, तर्कशक्ति एवं विचार शक्ति का विकास करती हैं।
  • ये छात्रों की व्यक्तिगत विभिन्नताओं की पूर्ति करती हैं।
  • ये ज्ञानेन्द्रियों के अधिकतम उपयोग पर बल देती है।
  • ये कक्षा में अनुशासन बनाये रखती हैं क्योंकि ये बच्चों में रुचि पैदा करती हैं।
  • अत: मेकन एवं राबट्स का कथन ‘शिक्षक, शिक्षण उपकरणों के माध्यम से शिक्षण को स्थायी एवं रोचक बना देते है’ सही है।

शिक्षण सहायक सामग्री का वर्गीकरण

शिक्षण सहायक सामग्रियों को मुख्य रूप से दो वर्गों में विभाजित किया जाता है

  • इन्द्रियाँ आधारित
  • तकनीको आधारित

इन्द्रियाँ आधारित शिक्षण सहायक सामग्री

ये चार प्रकार की होती हैं-
(I) श्रव्य सामग्री
• रेडियो, टेपरिकॉर्डर, ग्रामोफोन, लाउडस्पीकर,फोनोग्राफ / लिंग्वाफोन

(II) दृश्य सामग्री

  • चित्र 
  • चार्ट
  • ग्राफ
  • मानचित्र
  • प्रतिमान
  • ग्लोब
  • पोस्टर
  • पाठ्यपुस्तक
  • संग्रहालय
  • फिल्म-पट्टियाँ
  • एपिडायस्कोप
  • सूक्ष्म प्रक्षेपी
  • एपिस्कोप
  • चॉक बोर्ड
  • फैनल बोर्ड
  • बुलेटिन बोर्ड
  • शिरोपरी प्रक्षेपी

    (III) श्रव्य-दृश्य सामग्री

    • टेलिविजन
    • कठपुतली
    • बोलते चलचित्र
    • कम्प्यूटर

    (IV) क्रियात्मक साधन

    • रोल प्ले
    • प्रयोगशाला
    • मेले
    • सर्वेक्षण
    • प्रदर्शनियाँ
    • परियोजना
    • भ्रमण

    क्रियात्मक साधन वास्तविक जिंदगी से गणित का संबंध बनाने के लिए और अंतर्विषयों को विकसित करने में उपयोगी होते हैं।

    तकनीकी आधारित शिक्षण सहायक सामग्री

    ये तीन प्रकार के होते हैं-
    (I) सरल हार्डवेयर

    • एपिस्कोप
    • स्लाइड प्रक्षेपी
    • शिरोपरी प्रक्षेपी
    • मायादीप
    • फिल्म पट्टी प्रोजेक्टर

    (II) जटिल हार्डवेयर

    • रेडियो
    • टेलिविजन
    • टेपरिकार्डर
    • कम्प्यूटर

    (III) सॉफ्टवेयर

    • स्लाईड
    • फिल्म पट्टियाँ
    •  चित्र, चार्ट
    • मानचित्र, फोटोग्राफ
    • ग्राफ

    (IV) जियो बोर्ड

    • यह एक वर्ग बोर्ड होता है जिसमें कीलें गड़ी होती हैं।
    • इसमें रबर बैंड के प्रयोग से शुरुआती ज्यामितीय,माप और संख्यात्मक अवधारणाओं को समझाया जा सकता है।

    (V) गिनतारा (अबेकस)

    • यह एक प्राचीन गणितीय यंत्र है।
    • इसके उपयोग से जोड़, घटा, गुणा, भाग, भिन्न, वर्गमूल, स्थानीय मान की अवधारणाओं को समझाया जा सकता है।
    •  इससे गणितीय संक्रियाओं का बोध सहजता से हो जाता है।

    शिक्षण गतिविधियाँ

    शिक्षण गतिविधियाँ किसी विषय-वस्तु को सरल, रुचिकर एवं बाल केन्द्रित बनाती हैं। अधिगम को उपयोगी बनाने हेतु शिक्षण गतिविधियों का होना आवश्यक है। प्रभावशाली शिक्षण के लिए निम्न गतिविधियाँ करवाई जा सकती हैं-

    गणित क्लब

    • गणित क्लब में छात्र अपना समय आनन्दपूर्वक गणित करते हुए बिताते हैं।
    • इसमें छात्र छोटी-से-छोटी तथा बड़ी-से-बड़ी समस्या को आसानी से सुलझा लेते हैं।
    • गणित क्लब छात्रों को गणित करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
    • गणित क्लब उन छात्रों के लिए अत्यन्त उपयोगी होते हैं जो गणित अध्ययन, अन्वेषण, सिद्धान्तों और विश्लेषण में रुचि रखते हैं।

    गणित संग्रहालय का भ्रमण

    • गणित संग्रहालय गणित शिक्षण को सजीव एवं रोचक बनाते हैं।
    • गणित संग्रहालय में विभिन्न प्रकार की आकृतियों के मॉडल रखे जा सकते हैं।
    • इसमें महान गणितज्ञों के विषयों में जानकारी प्रदान की जा सकती है।
    • संग्रहालय में गणित संबंधित उपकरण रखे जाने चाहिए।
    गणित का जीवन की वास्तविक समस्याओं से संबंध स्थापित करने के लिए, छात्रों को बैंक, डाकघर, बाजार, स्टेशन आदि का भी भ्रमण कराना चाहिए, जिससे वे विभिन्न समस्याओं का ज्ञान कर उनका हल निकालने के लिए प्रेरित हों।
    • गणितीय समर कैंप का आयोजन।

    प्रतियोगिता/क्विज का आयोजन

    • इससे विद्यार्थियों में स्मरण शक्ति, चिंतन, कल्पनाशक्ति आदि का विकास होता है।
    • इससे छात्रों में सामूहिक भावना, सामाजिक गुणों आदि का विकास होता है।
    • इससे शिक्षार्थियों में गणित के स्रोतों; जैसे-प्रयोगशाला, पुस्तकालय आदि से ज्ञान अर्जित करने की प्रेरणा मिलती है।
    • इससे विद्यार्थियों में गहन अध्ययन की प्रवृत्ति बढ़ती है।
    • गणितीय ओलम्पियाड का आयोजन।

    गणित मेला

    NCERT के अनुसार गणित मेलों को आयोजित करने के निम्न उद्देश्य होने चाहिए-

    • युवाओं में वैज्ञानिक दृष्टिकोण पैदा करके उनमें गणित विज्ञान तथा तकनीक की परस्पर आत्मनिर्भरता की समझ उत्पन्न करना।
    • अपने विचारों को क्रियान्वित करने के लिए विद्यार्थियों को उपयुक्त अवसर और प्रोत्साहन प्रदान करना।
    • विद्यार्थियों को विज्ञान संबंधी कामों के प्रति आकर्षण उत्पन्न कर उन्हें आगे भी इसमें सहयोग देने के लिए तैयार करना।
    • भारत के भावी गणितज्ञों को पहचानने तथा उन्हें अपने पथ पर बढ़ते रहने का अवसर प्रदान करना।
    • गणित के विशेष मेधावी तथा प्रतिभावान छात्रों को प्रकाश में आने का अवसर प्रदान कर उनके उत्साह में वृद्धि करना।
    • विभिन्न क्लबों द्वारा किये जाने वाले कार्यक्रमों तथा उपलब्धियों के तुलनात्मक अध्ययन के लिए उपयुक्त अवसर प्रदान करना।
    • जन साधारण तथा विद्यार्थियों के अभिभावकों को स्कूल द्वारा आयोजित विभिन्न गणितीय मेलों से परिचित कराना।

    गणित मेलों में निम्न वस्तुओं को प्रस्तुत किया जा सकता है-

    • गणितज्ञों की प्रेरक जीवनियों तथा मुख्य-मुख्य घटना-चक्रों का प्रस्तुतीकरण।
    • विद्यार्थियों द्वारा बनाये गये गणित के चार्ट, चित्र तथा रेखाचित्रों का प्रस्तुतीकरण।
    • गणित के क्षेत्र में हुए विभिन्न खोजों व आविष्कारों  का प्रस्तुतीकरण।
    • विद्यार्थियों द्वारा निर्मित विभिन्न मॉडलों का प्रस्तुतीकरण।
    • विद्यार्थियों द्वारा संगृहीत किये गये विभिन्न पदार्थों एवं संसाधनों का प्रस्तुतीकरण।
    • गणितीय सिद्धांतों पर आधारित गणितीय खेल व खिलौनों का प्रस्तुतीकरण
    • अध्यापकों द्वारा स्वयं निर्मित गणितीय उपकरण तथा सामग्री का प्रस्तुतीकरण।
    • पुराने व वर्तमान उपकरणों में आवश्यक सुधार करके बनाए गए उन्नत उपकरणों का प्रस्तुतीकरण।

    गणित प्रयोगशाला

    • गणित एक तकनीकी विषय है जिसमें शिक्षा का उद्देश्य ज्ञान प्राप्त करना ही नहीं होता, बल्कि प्राप्त ज्ञान का उपयोग कैसे किया जाए, यह ज्ञान प्राप्त करने से अधिक महत्वपूर्ण होता है।
    • प्रयोगशाला में प्रत्यक्ष अनुभवों तथा उपकरणों द्वारा छात्रों को जटिल प्रत्ययों, सिद्धान्तों एवं अमूर्त संबंधों का प्रत्यक्ष ज्ञान दिया जा सकता है।
    • क्षेत्रफल, ब्याज, बीजगणित तथा रेखागणित के विभिन्न सिद्धान्तों का निर्माण करने में आगमन तथा प्रयोगशाला विधि की सहायता लेनी पड़ती है।

    प्रयोगशाला का महत्व

    • प्रयोगशाला में बालक स्वयं करके सीखते हैं,जिससे उनका ज्ञान अधिक स्थायी हो जाता है।
    • छात्रों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित होता है।
    • इसके द्वारा बालक क्रियात्मक एवं व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त करते हैं।
    • छात्रों में आगमनात्मक चिंतन का विकास होता है।
    • प्रयोगशाला के द्वारा छात्रों में रचनात्मक एवं अनुसंधानात्मक दृष्टिकोण विकसित होता है।
    • छात्रों में आत्मविश्वास, आत्म-निर्भरता, परिश्रम तथा प्रयोग करने की योग्यता का विकास होता है।

    मनोरंजक क्रियाएँ

    महत्व

    • मनोरंजक क्रियाएँ गणित में रुचि एवं आनन्द उत्पन्न करती है।
    • मनोरंजक क्रियाएं कक्षा वातावरण में स्वस्थ परिवर्तन लाती है।
    • मनोरंजक क्रियाएं गणित के प्रति सकारात्मक अभिवृत्ति को विकसित करती है।
    • मनोरंजक क्रियाएँ छात्रों के अवकाश के क्षणों को सदुपयोग के लिए तैयार करती है।
    • मनोरंजक क्रियाएँ गणित और प्रतिदिन के विचारों में संबंध स्थापित करती हैं।
    • मनोरंजक क्रियाएँ बुद्धि को तीव्र करती है तथा सोचने को बढ़ावा देती है।
    • ये क्रियाएं खेल भावना विकसित करती है तथा पारस्परिक सहयोग एवं स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करती हैं।
    • ये क्रियाएँ समस्या समाधान के कौशल को प्रोत्साहित करती हैं।
    • ये क्रियाएँ छात्रों को उनकी विधान शैलियों को सुधारने में मदद करती हैं।

    मनोरंजन क्रियाएँ हैं – जादुई कैलेंडर, संख्या का खेल, सुडोकू, क्रॉस वर्ड, पहेलियाँ, रोल प्ले आदि।

    सेमिनार

    इसके द्वारा शिक्षकों में निम्न गुण विकसित करने की कोशिश की जाती है-

    • विश्लेषण एवं आलोचनात्मक गुणों का विकास
    • संश्लेषण एवं मूल्यांकन की योग्यता का विकास
    • विचारों को स्वच्छन्दता का विकास
    • दूसरों के प्रति सम्मान की भावना का विकास
    • दूसरों से सहयोग की भावना का विकास
    • निरीक्षण एवं प्रस्तुतीकरण गुणों का विकास

    नोट- प्रत्यक्ष अनुभव प्रभावशाली शिक्षण सामग्री होती हैं।

    कार्यशाला

    • इसमें शिक्षक शिक्षण की समस्याओं पर विचार-विमर्श करते हुए सामूहिक रूप से रचनात्मक कार्य भी करते हैं।
    • इससे शिक्षकों में विशिष्ट व्यावसायिक क्षमताओं का विकास होता है।
    • इससे शिक्षकों को नये उपागमों का प्रशिक्षण मिलता है।
    • इसमें शिक्षक समस्याओं को ढूंढने एवं उनके हल निकालने का प्रयास करते हैं।

    संकल्पना मानचित्र

    • यह एक आरेख है जो अवधारणाओं के बीच संबंध को दर्शाता है।
    • यह पदानुक्रमित संरचना होती है।
    • यह नए शिक्षण के पूर्व ज्ञान से जोड़ने में सहायक होते हैं।
    • यह सफलतापूर्वक सीखने/सिखाने का तरीका है।
    • शिक्षण में सूचना एवं संचार तकनीक (आई.सी.टी.) का महत्व

    शिक्षण में सूचना एवं संचार तकनीक (आई.सी.टी.) का महत्व

    पिछले कुछ वर्षों से कंप्यूटर के बढ़ते प्रयोग, दूर संचार में हुए विकास और इंटरनेट ने शिक्षा के क्षेत्र में नए अवसर खोले हैं और नयी चुनौतियों को जन्म दिया है। शिक्षण में आई.सी.टी. के उपयोग की महत्ता को भली-भांति स्वीकार किया जा चुका है। इंटरनेट व्यापक संभावनाओं के द्वार खोलता है। यह पाठ्यचर्या व सह पाठ्यचर्या के संगत विषयों पर छात्रों के लिए इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफार्म का कार्य कर सकता है। एडूसैट, एक संवादपरक उपग्रह आधारित दूरस्थ गुणवतापूर्ण शिक्षा तंत्र है, जिसके माध्यम से विद्यार्थी, विशेषज्ञों से आवश्यक प्रश्न पूछ सकते हैं, उनके भाषण सुन सकते हैं और बहस, प्रश्न-उतर सत्र आदि आयोजित कर सकते हैं।

    सामुदायिक रेडियो (एफ.एम.)  के माध्यम से स्थानीय जरूरतों के मुताबिक विद्यार्थियों को विज्ञान-कार्यक्रम बनाने व प्रसारित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है।

    आई.सी.टी. का उपकरण के रूप में उपयोग सावधानी से करना जरूरी है ताकि सामाजिक विषमता और अवसर की असमानता को कम किया जा सके। अगर इसका उपयोग बिना सोचे समझे किया गया तो विषमता और असमानता को बढ़ावा मिलेगा।

    चार्ट के प्रकार

    चार्ट निम्न प्रकार के होते हैं-

    • तालिका चार्ट- इसमें सूचनाओं को तालिका के रूप में पेश किया जाता है। विद्यालय की समय सारणी तालिका चार्ट का सबसे अच्छा उदाहरण है।
    • वृक्ष चार्ट- वृक्ष का मुख्य तना किसी संगठन को प्रदर्शित करता है, वहीं शाखाओं द्वारा उसके बहुआयामी विकास को दर्शाया जाता है।
    • समय चार्ट- इस चार्ट द्वारा घटनाओं के कालक्रम को दर्शाया जाता है।
    • चित्र चार्ट-चित्र चार्ट में पढ़ाई जाने वाली विषय-वस्तु को आलेख, ग्राफ, चित्रों, रेखाकृतियों, खाकों तथा शब्दों के माध्यम से प्रदर्शित किया जाता है।
    • वृत्ताकार चार्ट- इन चार्टी में वृत्त को आंकड़ों के आधार पर भागों में विभाजित किया जाता है।

     

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