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सृजनात्मक बालक (Creative Child)
सृजनात्मकता व्यक्ति का मौलिक गुण है। प्रत्येक प्राणों में वह गुण किसी न किसी रूप में अवश्य पाया जाता है।
प्रत्येक देश व समाज में ऐसे व्यक्ति पाये जाते हैं, ये राष्ट्रीय विकास में अपूर्व योगदान देते हैं।
वेबस्टर (Webster) शब्दकोष के अनुसार क्रियेटिविटी शब्द ‘करे’ Kere बना है जिसका अभिप्राय ‘अस्तित्व में आना’
उपना, (grow) है। वेबस्टर शब्दकोष में Create जब एक क्रिया के रूप में प्रयोग होता है तो उसका अर्थ बनाना, अस्तित्व में आना होता है।
सृजनात्मक का अर्थ स्पष्ट करते हुए विभिन्न विद्वान इस प्रकार कहते हैं-
जेम्स डेवर का कथन- सृजनात्मकता मुख्यत: नवीन रचना व उत्पादन में होती है।
को और क्रो के अनुसार- सृजनात्मकता मौलिक परिणामों को अभिव्यक्त करने की मानसिक प्रक्रिया है।
सृजनात्मक बालक-
सृजनात्मक बालक को परिभाषित करते हुए बैरेन (Barron) कहते हैं “सृजनात्मक बालक पहले में विद्यमान वस्तुओं तथा तत्त्वों को संयुक्त कर नवीन निर्माण करता है।
इसरेली, एन.-सृजनात्मक बालक किसी नवीन वस्तु का निर्माण व उसमें परिवर्तन करने की क्षमता रखता है।
इन परिभाषाओं से यह स्पष्ट होता है कि बालक द्वारा किसी जटिल समस्या का विद्वतापूर्ण समाधान करने की योग्यता
सृजनात्मकता है, जो अपने में निहित विभिन्न विशेषताओं समस्या के प्रति सजगता, लचीलापन, मौलिकता, गतिशील वैचारिकता,
विज्ञासा, नवीनता हेतु परिवर्तन की आकांक्षा के माध्यम से रचनात्मकता उत्पन्न करती है।
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सृजनात्मक बालकों की विशेषताएँ
मुख्य विशेषताएं इस प्रकार होती हैं-
- विचारों में लचीलापन, विस्तृत बौद्धिक स्तर
- समस्या समाधान योग्यता
- प्रतिकूल वस्तुओं को सहन करने की क्षमता
- बालकों में विभिन्न क्षेत्रों में भाग लेने की क्षमता होती है
- जीवन की अनिश्चितता व कठिनता को स्वीकार करने की इच्छा, कठिनाइयों को चुनौती के रूप में स्वीकारते हैं
- गलतियों के सहन करने की क्षमता
- न अधिक सामाजिक होते हैं, न ही समाज विरोधी
- सामाजिक परिवेश में बहुत अधिक संवेदनशील
- मस्तिष्क स्वस्थ्य, चिन्ता का स्तर निम्न
- प्रत्यय साधारण बालकों की तुलना में अधिक सार्थक व अर्थपूर्ण
- अपनी आयु से ज्यादा परिपक्व
- वास्तविकता व सत्या की खोज पर बल
- तुलनात्मक रूप से अधिक उत्तरदायित्व की भावना वाले, ईमानदार व विश्वसनीय.
- औसत श्रेणी के शारीरिक स्वास्थ्य वाले, कल्पनाशीलता वाले.
सृजनात्मकता का पता लगाने हेतु परीक्षण
सृजनात्मकता के क्षेत्र में बहुत से परीक्षण विकसित हुए हैं। ये प्रचलित मुख्य परीक्षण इस प्रकार हैं-
1.पासी का सृजनात्मक परीक्षण
2.बाकर मेंहदी : सृजनात्मक चिन्तन का शाब्दिक परीक्षण
3. बाकर मेहदी : सृजनात्मक चिन्तन का अशाब्दिक परीक्षण
4.के. एन. शर्मा : अपसारी उत्पादन योग्यता परीक्षण
5.वी.पी. शर्मा व पी. शुक्ला : वैज्ञानिक सृजनात्मक का शाब्दिक परीक्षण
6.एस.पी. मल्होत्रा व सुचेता कुमारी : भाषा सृजनात्मकता परीक्षण
सृजनात्मक बालकों की शिक्षा
टॉरेंस ने अपने अध्ययन के आधार पर शिक्षकों के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव बताये-
1.बालकों द्वारा पूर्ण प्रश्नों का उत्तर आदरभाव
2.उनके कल्पनात्मक व असाधारण विचारों को समझने का प्रयास करें।
3 छात्रों को स्वक्रिया पर बल दें व उन स्वक्रिया हेतु प्रोत्साहित करें।
4. बालकों के विचारों को महत्त्व दें।
5. स्वतः प्रेरित अधिगम व उसके मूल्यांकन पर बल दें।
6.उपयुक्त वातावरण के प्रति विशेष ध्यान में जिससे उनमें सृजनात्मकता विकसित हो।
7. विद्यालय में समय-समय पर आमप्रेरणा पुरस्कार व प्रतियोगिता आदि संपन्न की जाये।
8. अनके माध्यमों द्वारा अपसरण उत्पादन (Divergent Production) को प्रोत्साहित किया जाये।
9.सेमीनार, संगोष्ठी, वाद-विवाद सभायें, प्रदर्शनी, सरस्वती यात्राओं का आयोजना
10.पाठयेत्तर पुस्तकों को व्यवस्था बुलेटिन बोर्ड, विद्यालय पत्रिका, कक्षा पुस्तकालयों की व्यवस्था की जाये।
बालक की सृजनात्मक योग्यता को विकसित करना शिक्षकों , समाज व देश का परम कर्तव्य है। इसलिए इस प्रकार के बालकों की शिक्षा दीक्षा का समुचित प्रबंध करें।
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