Carbohydrates,

Carbohydrates

कोशिका में पाए जाने वाले कार्बनिक यौगिक; जैसे-कार्बोहाइड्रेट्स, लिपिड, वसा, प्रोटीन एवं न्यूक्लिक अम्ल वृहत अणु हैं। कार्बोहाइड्रेट कार्बन, हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन से बने कार्बनिक पदार्थ है। रासायनिक दृष्टि से ये एल्डिहाइड या कीटोन या वे पदार्थ हैं, जो जल अपघटन (hydrolysis) द्वारा पॉलीहाइड्रॉक्सी एल्डिहाइड (polyhydroxy aldehyde) या कीटोन देते हैं। कार्बोहाइड्रेट्स में हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन का अनुपात जल के अनुपात के बराबर होता है, अतः इन्हें हाइड्रोजन, कार्बन या कार्वन के हाइड्रेट्स कहा जाता है। इसका सामान्य सूत्र    CnH2nOn, होता है। यह शरीर के लिए ऊर्जा का स्रोत है। यह हरे पौधों द्वारा प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया से बनते हैं। दूसरे जीव हरे पौधों से इन्हें प्राप्त करते हैं। सामान्यतया यह कोशिका में 9% से कम होते हैं, लेकिन यकृत कोशिकाओं में इनकी मात्रा 15% तक होती है।

कार्बोहाइड्रेट्स के प्रकार (Types of Carbohydrates)

आणविक संरचना तथा रासायनिक गुणों के आधार पर कार्बोहाइड्रेट्स तीन प्रकार के होते हैं। उदाहरण-मोनोसैकेराइड्स, ऑलिगोसैकेराइड्स व पॉलीसैकेराइड्स।

1. मोनोसैकेराइड्स (Monosaccharides)

इनमें कार्बन के 3-7 परमाणु होते हैं। यह जल में विलेय तथा स्वाद में मीठे होते हैं। इनके अणु आपस में मिलकर ऑलिगो तथा पॉलीसैकेराइड्स बनाते हैं। प्रत्येक मोनोसकेराइड में एक एल्डिहाइड (एल्डोलेज) या कीटोन समूह अवश्य पाया जाता है। मोनोसैकेराइड्स को उनमें उपस्थित कार्बन परमाणुओं की संख्या के आधार पर निम्न में वगीकृत किया जाता है 

 

 

(i) ट्राइओज (Triose) इनमें तीन कार्बन परमाणु होते हैं तथा यह सबसे  छोटे होते हैं। इनका सामान्य सूत्र C3H6O3, होता है। उदाहरण- ग्लिसरेल्डिहाइड तथा डाइहाइड्रॉक्सी एसीटोना

(ii) टेट्रोज (Tetrose) इनमें कार्बन के चार परमाणु होते हैं। इनका सामान्य सूत्र C4H8O4, होता है। उदाहरण-इरियोज।

(iii) पेन्टोज (Pentose) इनमें कार्बन के पाँच परमाणु होते हैं। इनका सामान्य सूत्र C5H10O5 होता है। उदाहरण-राइबोज, राइबुलोज तथा जाइलुलोज

(iv) हेक्सोज (Hexose) इनमें कार्यन के छ: परमाणु होते हैं। इनका सामान्य सूत्र C6H12O6 होता है। यह प्रकाश संश्लेषण के समय बनते है तथा स्वसन में प्रयोग किए जाते है। उदाहरण-ग्लूकोज, फ्रक्टोज तथा गैलेक्टोज 

(v) हेप्टोज (Heptose) इनमें कार्बन के सात परमाणु पाए जाते हैं। इनका सूत्र  C7H14O7, होता है। उदाहरण-सेडोहेप्टूलोज।

मोनोसैकराइड्स से सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण बिन्दु
(Important Point Related to Monosaccharides)

  • मोनोसैकेराइड्स डेक्सट्रोरोटेटरी (D) या लेवोरोटेटरी (L) होते हैं। फ्रक्टोज को छोड़कर सभी हेक्सोज शर्करा एल्डोलेज हैं।
  • राइबोज शर्करा ( C5H10O5) सबसे अधिक पाई जाती है। जीवन की उत्पत्ति के समय यह सर्वप्रथम उत्पन्न हुई थी।
  • जाइलोज तथा एरेबिनोज कोशिका मिति के हेमीसेलुलोज में पाई जाती है, परन्तु जन्तु कोशिका में यह अनुपस्थित होती है।
  • सभी मोनोसैकेराइड्स अपचायक शर्कराएँ कहलाती हैं, क्योंकि इनमें उपस्थित स्वतन्त्र एल्डिहाइड या कीटो समूह Cu+2 का अवकरण (reduction) Cu+ में कर सकते हैं। अपचयन की इसी क्रिया से मूत्र में ग्लूकोज का पता लगाने के लिए बेनेडिक्ट या फेहलिंग से परीक्षण करते हैं।
  • फ्रक्टोज, हेक्सोज, लेबुलोज व कीटोज शर्करा है, जिसमें  > C=O समूह पाया जाता है। यह सबसे मीठी शर्करा है।
  • मोनोसैकेराइड को एल्डिहाइड या कीटोन समूह दूसरे यौगिक के एल्कोहॉल समूह से क्रिया करके दोनों यौगिकों को जोड़ देते हैं। इस बन्ध को ग्लाइकोसीडिक बन्ध (glycosidic bond) कहते हैं।

2.ऑलिगोसैकेराइड्स (Oligosaccharides)

ये मोनोसैकेराइड्स के दो से दस अणुओं के संघनन से बनते हैं तथा जल-अपघटन द्वारा उतने ही मोनोसैकेराइड्स के अणु दे देते हैं। यह जल में विलेय एवं स्वाद में मीठे होते हैं। मोनोसैकेराइड्स की संख्या के आधार पर इन्हें निम्न श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है

(i) डाइसैकेराइड्स (Disaccharides)

ये मोनोसकेराइड्स के दो अणुओं के संघनन से बनते हैं। इनका अणुसूत्र  C12H22O11 होता है। यह जल-अपघटन कराने पर मोनोसेकेराइड्स के दो अणु देते हैं। उदाहरण-सुक्रोज, लेक्टोज तथा माल्टोज |

सुक्रोज का जल-अपघटन कराने पर यह ग्लूकोज तथा फ्रक्टोज में विघटित हो जाते हैं। सुक्रोज सामान्यतया गन्ना, शकरकन्द, शलजम एवं फलों में बहुतायत से पाया जाता है। यह स्वाद में अत्यधिक मीठा एवं जल में विलेय होता है। पौधों में शर्करा का स्थानान्तरण सुक्रोज के रूप में होता है।

माल्टोज स्वतन्त्र रूप से प्रकृति में नहीं पाया जाता। यह माल्टेज एन्जाइम द्वारा जल के साथ अपघटित होकर ग्लूकाज के दो अणु बनाता है। माल्टोज टायलिन तथा एमाइलेज एन्जाइम द्वारा मण्ड के अपघटन से बनता है।

लेक्टोज दूध में पाई जाने वाली शर्करा है। यह स्वाद में मीठी नहीं होती है। इसके जल अपघटन से एक अणु ग्लूकोज व एक अणु गैलेक्टोज का बनता है। माल्टोज व लैक्टोज अपचायक (reducing) शर्कराएँ हैं, जबकि सुक्रोज अपचायक (non-reducing) शर्करा नहीं है।

(ii) ट्राइसैकेराइड्स (Trisaccharides)

ये मोनोसैकेराइड्स के तीन अणुओं के संघनन से बनते हैं। इनका अणुसूत्र C18H32O16 होता है। इनके जलीय अपघटन से मोनोसैकेराइड के तीन अणु बनते हैं; जैसे-रैफिनोज, जेन्सियनोज, रैफिनोज शर्करा, ग्लूकोज, फ्रक्टोज एवं गलैक्टोज की बनी होती है तथा यह ऊँचाई पर पाए जाने वाले पादपों में पाई जाती है।

(iii) टेट्रासैकेराइड्स (Tetrasaccharides)

यह मोनोसैकेराइड के चार अणुओं के संघनन से बनता है। इनका अणु सूत्र  C24H42O21 होता है; जैसे-स्कोरोडोज एवं स्टैकियोज। स्कोरोडोज प्याज एवं लहसुन में होता है तथा स्टैकियाज स्टैकिस ट्यूबीरीफेरा में पाया जाता है।

(iv) पेन्टासैकेराइड्स (Pentasaccharides)

यह मोनोसैकेराइड्स के पाँच अणुओं के संघनन से बनते हैं। इनका अणुसूत्र C30H52O26 होता है, जैसे-वर्वेसकोस, यह वर्वेस्कस थैपस की जड़ों में पाया जाता है।

3. पॉलीसैकेराइड्स (Polysaccharides)

ये जटिल कार्बोहाड्रेट्स हैं, जो मोनोसैकेराइड्स के 10 से अधिक अणुओं (300-1000) के संघनन (condensation) से बनते हैं। इनका सामान्य सूत्र ( C5H10O5)n होता है। ये पानी में अविलेय होते हैं।

पॉलीसैकेराइड्स सामान्यतया दो प्रकार के होते हैं

(i)होमोपॉलीसैकेराइड्स, जो केवल एक प्रकार के मोनोसैकेराइड के संघनन से बनते हैं। उदाहरण-सेलुलोज, ग्लाइकोजन एवं स्टार्च।

(ii) हेटेरोपॉलीसैकेराइड, जो दो या अधिक प्रकार के मोनोसैकेराइड के संघनन से बनते हैं। उदाहरण-काइटिन, पेक्टिन, आदि।

सेलुलोज (Cellulose)

यह जीवमण्डल (biosphere) में सबसे अधिक मात्रा में पाया जाता है। यह मुख्यतया पादप कोशिकाओं की कोशिका भित्ति में पाया जाता है, जो कोशिका को यान्त्रिक आधार प्रदान करता है।

यह कपास रेशे में अत्यधिक मात्रा (90%) में पाया जाता है। यह ग्लूकोज का पॉलीसैकेराइड है, जो लगभग 6000 β-D ग्लूकोज के अणुओं से मिलकर बनता है। सेलुलोज तन्तुमय तथा पानी में अविलेय होता है।

कृत्रिम तन्तु रेयान घुलनशील सेलुलोज से बनाया जाता है। हमारे खाने में सेलुलोज मुख्य पदार्थ होता है, परन्तु यह हमारे द्वारा पचाया नहीं जा सकता। कुछ चौपार्यो; जैसे-गाय, बकरी, खरगोश, आदि में इसे पचाने के लिए आहारनाल में एक विशेष अंग; जैसे-सीकम, वर्मीफॉर्म अपेण्डिक्स या सैकुलस रोटान्डस पाया जाता है, जिससे यह सेलुलोज को पचा सकते हैं। इसके पाचन तन्त्र में उपस्थित जीवाणु इसका पाचन कर सकते हैं। सेलुलोज से सेलुलोज एसीटेट बनाया जाता है, जिसका उपयोग कपड़ा उद्योग में किया जाता है। सेलुलोज नाइट्रेट विस्फोटकों में प्रयोग किया जाता है। कार्बोक्सी मिथाइल सेलुलोज आइसक्रीम एवं सौन्दर्य प्रसाधन की वस्तुएँ बनाने में प्रयोग होता है।

काइटिन (Chitin)

यह एक जटिल पॉलीसैकेराइड है, जो कीटों, केकड़ों तथा झीगों के बाहा कंकाल और कवकों की कोशिका भित्ति में पाया जाता है। यह एसीटिल ग्लूकोसोमाइन का बहुलक है।

स्टार्च (Starch)

यह पादपों में संचित होने वाला मुख्य कार्बोहाइड्रेट है। यह सीधी श्रृंखला वाले एमाइलोज तथा शाखित श्रृंखला वाले एमाइलोपेक्टिन का बना होता है। एमाइलोज एवं एमाइलोपेक्टिन दोनों α-D ग्लूकोज इकाइयों के बने होते हैं। स्टार्च धान और गेहूँ के बीज केले के फल तथा आलू के भूमिगत तने, आदि के विभिन्न प्रकार के कणों के रूप में व्यवस्थित रहता है। स्टार्च कणों में स्टार्च के अणु कई स्तरों में व्यवस्थित रहते हैं। स्टार्च कण गोल, अण्डाकार या बहुभुजाकार होते हैं। प्रत्येक स्टार्च कण में एक या दो हाइलम पाए जाते हैं। एक हाइलम युक्त स्टार्च कण को सरल व एक से अधिक हाइलम कणों को संयुक्त स्टार्च कण कहते हैं।

ग्लाइकोजन (Glycogen)

यह जन्तुओं के शरीर में संचित भोजन के रूप में पाया जाता है, इसीलिए ग्लाइकोजन को जन्तु स्टार्च (animal starch) कहा जाता है। यह ग्लूकोज के अणुओं का बहुलक (polymer of glucose) है। यह मुख्य रूप से जन्तुओं के पेशी तन्तुओं तथा यकृत कोशिकाओं में संचित रहता है। यह पानी में घुलनशील है। यह यकृत की कोशिकाओं में ग्लूकोज (glucogenolysis) में टूट जाता है। तथा रुधिर में ग्लूकोज की सान्द्रता को नियन्त्रित करता है।

पालीसैकेराइड से सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण बिन्दु
(Important Point Related to Polysaccharide)

  • इनुलिन फ्रक्टोज का बहुलक है तथा डहेलिया की जड़ों में पाया जाता है।
  • पादपों में पाया जाने वाला लसलसा पदार्थ म्यूसीलेज भी एक प्रकार का पॉलीसैकेराइड है, जिसे म्यूकोपॉलीसकेराइड कहते हैं। यह गैलेक्टोज व मैनोज नामक शर्कराओं का बना होता है।
  • समुद्री शैवालों में पाए जाने वाले अगार-अगार, एल्जीनिक अम्ल व कैरेजीनिन भी म्यूकोपॉलीसैकेराइड हैं।
  • शहद मधुमक्खी (Apis indica) द्वारा पराग से बनाया जाता है। शहद में 30-40% फ्रक्टोज, 21% डेक्सट्रोज तथा 8% माल्टोज होता है।
  • पॉलीसकेराइड, अक्रिस्टलीय, जल में अविलेय तथा मीठी नहीं होने के कारण अशर्करा कहलाती है।

 

जीवद्रव्य में उपस्थित तत्वों की प्रतिशत मात्रा
(Percentage of elements present in protoplasm)

तत्व का नाम प्रतिशत मात्रा
कार्बन (C)
हाइड्रोजन (H)
ऑक्सीजन (O)
नाइट्रोजन (N)
कैल्शियम (Ca)
फॉस्फोरस (P)
पोटैशियम (K)
सल्फर (S)
सोडियम (Na)
आयोडीन (I)
मैग्नीशियम (Mg)
लौह (Fe)
18%
10%
65%
2.5%
2.5%
1.15%
0.30%
0.15%
0.1%
0.43%
0.02%
0.01%

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