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Ecology, Ecological Relationship and Population
पारिस्थितिकी, पारिस्थितिक सम्बन्ध एवं जनसंख्या
पारिस्थितिकी (Ecology)
जीव तथा उसके पर्यावरण के पारस्परिक सम्बन्धों का अध्ययन पारिस्थितिकी कहलाता है। प्रो रामदेव मिश्रा को भारतीय पारिस्थितिकी का जनक कहा जाता है। पारिस्थितिकी को दो शाखाओं स्वपारिस्थितिकी (autecology) अर्थात् किसी एक प्राणी या एक जाति एवं उसके वातावरण के बीच पारस्परिक सम्बन्धों का अध्ययन व संपारिस्थितिकी (synecology) अर्थात् किसी स्थान पर पाए जाने वाले समस्त जीव-समूह एवं वहाँ के वातावरण के पारस्परिक सम्बन्धों का अध्ययन, में विभाजित किया जाता है। संपारिस्थितिकी के अन्तर्गत समष्टि पारिस्थितिकी (population ecology), ecology), समुदाय पारिस्थितिकी (community ecology) तथा पारितन्त्र पारिस्थितिकी (ecosystem ecology) आते हैं। पारिस्थितिक कारक, जलवायवीय (प्रकाश, ताप एवं, जल), स्थलाकृतिक (ऊँचाई, दलान एवं इसकी दिशा), मृदीय एवं जैवीय प्रकार के होते हैं। पारिस्थितिक तन्त्र जैवीय तथा अजैवीय घटकों से मिलकर बना होता है।
पारिस्थितिक सम्बन्ध (Ecological Relationship)
उपलब्ध संसाधनों (available resources) और ऊर्जा (energy) का उपयोग करने के लिए वातावरण में रहने वाले विभिन्न जीव आपस में पारस्परिक अन्तः क्रियाएँ करते रहते हैं।
ये अन्तःक्रियाएँ या सम्बन्ध दो प्रकार की होती हैं
1. धनात्मक अन्तःक्रियाएँ (Positive Interactions)
जब दोनों सहयोगी समान रूप से लाभान्वित होते हैं और किसी को कोई हानि नहीं होती, तो इसे सहोपकारिता (mutualism) कहते हैं। जैसे-लाइकेन, साइकस की कोरेलॉइड मूल, कवक मूल, दीमक की आँत्र में ट्राइकोनिम्फा प्रोटोजोआ, जूक्लोरेला एवं सीलेन्ट्रेट, हर्मिट क्रैब, सी एनिमोन, आदि।
जब एक सहयोगी बिना दूसरे को हानि पहुँचाए ही लाभान्वित होता है, तो इसे सहमोजिता (commensalism) कहते है जैसे-ऑर्किड, आरोही (climbers), कंठलताएँ (lianas), स्लॉथ की त्वचा पर शैवाल का पाया जाना, शार्क एवं चूषक मीन, आदि। यदि दोनों सहयोगी भौतिक सम्बन्ध स्थापित किए बिना ही परस्पर लाभान्वित होते हैं, तो इसे आदि सहयोग (protocooperation) कहते हैं; जैसे-मूलपरिवेशी सूक्ष्म वनस्पति जात (rhizosphere microflora)
2. ऋणात्मक अन्तःक्रियाएँ (Negative Interactions)
ऋणात्मक अन्तःक्रियाओं को निम्न भागों में वर्गीकृत किया गया है
(i) स्पर्धा (Competition)
स्थान, जल, खनिज, ऊर्जा एवं अन्य संसाधनों के लिए कई प्रजातियों के सदस्यों के मध्य स्पर्धा अन्तराजातीय स्पर्धा (interspecific competition), जबकि एक ही प्रजाति के दो या दो से अधिक सदस्यों के बीच स्पर्धा आन्तरजातीय स्पर्धा (intraspecific competition) कहलाती है। उदाहरण-क्रोम्बल ने आटे में भंग की दो जातियों ट्राइबोलियम तथा ओरजिफिल्स के मध्य स्पर्धा में ऑरजिफिल्स की समष्टि का ह्रास होते देखा।
(ii) विरोधी या प्रतिजीविता (Antagonism or Antibiosis)
एक जीव की जटिल उपापचयी क्रियाओं द्वारा उत्पन्न वृद्धि रोधक विषाक्त रासायनिक पदार्थों के स्राव द्वारा, किसी दूसरे जीव की वृद्धि को पूर्ण या आंशिक रूप से रोक देना विरोधी अथवा प्रतिजीविता कहलाता है; जैसे-कवकों द्वारा प्रतिजैविकों का स्रावण, माइक्रोसिस्टिस (BGA) द्वारा हाइड्रेक्सिल एमीन का प्रावण, जिस कारण जल विषैला हो जाता है। बाह्य परजीवी; जैसे-जौक, खटमल, टीक्स एवं माइट्स, आदि एवं अन्तःपरजीवी; जैसे-ऐस्केरिस, टीनिया, वूचेरेरिया बैक्रॉफ्टी, आदि।
(iii) परजीविता (Parasitism)
विषमपोषी जीव, जो परपोषी (host) के शरीर से अपना आहार प्राप्त करते हैं, परजीवी कहलाते हैं, जैसे-कस्कुटा (Cuscuta)-पूर्ण तना परजीवी, विस्कम (Viscum) तथा लोरेन्थस (Loranthus)-आंशिक तना परजीवी, रेफ्लेशिया (Rafflesia) एवं ऑरोबेन्की (Orobanche) पूर्ण जड़ परजीवी तथा सेन्टेलम एल्बम (Santatum album) आंशिक जड़ परजीवी हैं।
(iv) परभक्षिता (Prey)
दूसरे अन्य जीवों पर आक्रमण करके पोषण प्राप्त करना परभक्षिता कहलाता है, यहाँ एक परभक्षी (predator); जैसे-शेर, चीता तथा दूसरा परभक्षण; जैसे-बकरी, हिरन, आदि शाकाहारी (प्रथम श्रेणी उपभोक्ता) कहलाते हैं, परभक्षी सदैव सक्रिय एवं शक्तिशाली होता है। उदाहरण कुछ पादप (कीटभक्षी पादप)।
जनसंख्या या समष्टि (Population)
एक ही समय में एक ही क्षेत्र में रहने वाले एक ही जाति के जीवों के समूह को जनसंख्या या समष्टि कहते हैं।
जनसंख्या की विशेषताएँ (Characteristics of Population)
घनत्व (Density)
एक निश्चित स्थान एवं समय में आवास के इकाई आयतन में पाए जाने वाले प्राणियों की कुल संख्या घनत्व कहलाती है।
जन्म दर (Birth rate or natality)
दी गई पर्यावरणीय परिस्थिति में जनसंख्या में, एक समय अवधि में, व्यक्तियों की संख्या में वृद्धि जन्मदर कहलाती है।
मृत्युदर (Death rate of mortality)
किसी जनसंख्या में एक समय अवधि में मरने वाले व्यक्तियों की संख्या मृत्युदर कहलाती है।
उम्र वितरण (Age distribution)
जनसंख्या में विभिन्न उम्र समुदाय मिलकर उसकी प्रजनन स्थिति को निश्चित करते हैं। तीन उम्रों, प्रजनन पूर्व (prereproduction) प्रजनन समय (reproduction) एवं प्रजनन उपरान्त (post reproduction) की जनसंख्या को पारिस्थितिक आयु कहते हैं।
जैविक विभव (Biotic potential)
पर्यावरण की रूकावट के अभाव में किसी जीव की अर्न्तनिहित प्रजनन या संख्या वृद्धि क्षमता जैविक विभव कहलाती है।
पर्यावरण प्रतिरोध (Ecological resistance)
जनसंख्या या जैविक विभव पर पर्यावरण का नियन्त्रण पर्यावरण प्रतिरोध कहलाता है।
यह अजैविक तथा जैविक कारकों के सीमित प्रभाव को दर्शाता है।