Pesticides and Pest Control

Pesticides and Pest Control

 

Pesticides(पीड़कनाशी)

कोई भी जीव, जो मनुष्यों को भौतिक या आर्थिक रूप से हानि पहुँचाते हैं तथा लाभकारी जीवों की प्रजनन क्षमता अथवा लाभकारी पदार्थों को नुकसान पहुंचाते हैं, पीड़क (pest) कहलाते हैं, जैसे-कीट पतंगा (insects). चूहे (rats). गोलकृमि (nematodes), दीमक (termites), खरपतवार (weeds). जीवाणु (bacteria) तथा कवक । वे रसायन जो जीवों के उत्पादन पदार्थ को नष्ट करते हैं या भगाते हैं, पीड़कनाशी कहलाते हैं। पीड़कनाशी वे रसायन है, जो कीटों, रोगोत्पादक जीवों, खरपतवारों, दीमकों तथा निमेटोड्स कहलाने वाले छोटे कृमियों और चूहों को भी मारते हैं। पेस्टीसाइड्स शब्द की उत्पत्ति लैटिन शब्द पेस्टिस से हुई है, जिसका अभिप्राय है. विनाशकारी साधन |

LD-50 यह कीटनाशी की वह मात्रा है, जोकि कीट की 50% संख्या नष्ट करने के लिए पर्याप्त है। LC-50 तथा LC-100 घातक सान्द्रता (lethal concentration) शब्दों का प्रयोग तब किया जाता है, जब कीटनाशक को पानी में घोला जाता है तथा प्राणियों को हम जल में रखते हैं।

पीड़कनाशियों की क्रियाविधि (Mechanism of Pesticides)

अधिकांश पीड़कनाशी कीटों (पिडक) के तन्त्रिका तन्त्र पर प्रभाव डालते हैं। वनस्पति नाशक (herbicides) प्रकाश-संश्लेषण के प्रकाश तन्त्र- II (जल फोटोलाइसिस तथा ऑक्सीजन उत्पादन) पर आक्रमण करते हैं। कीटनाशी पदार्थों को उनके प्रभाव व कार्य के आधार पर तीन वर्गों में बाँटा गया है

(i) सम्पर्क विष वे विष पदार्थ, जो जन्तु के सम्पर्क में आने से जन्तु का नाश करते हैं, सम्पर्क विष कहलाते हैं।

(ii) आमाशयी विष जो पदार्थ आमाशय में भोजन के साथ पहुंचते हैं, आमाशयी विष कहलाते हैं।

(iii)फ्यूमीगेट्स ये खूब उत्पन्न करने वाले पदार्थ हैं। पीड़कनाशी, जिनका सर्वप्रथम प्रयोग किया गया, प्रथम पीदी पीड़कनाशी (first generation pesticides) कहलाए; जैसे-कुछ तेल तथा पादप निष्काषित पदार्थ। द्वितीय पीदी पीड़कनाशी (second generation pesticides) संश्लेषित पीडकनाशियों (synthetic pesticides) को कहा जाता है। जैव पीड़नाशियों की तीसरी पीढी (third generation) के पीडकनाशी कहते हैं, जैसे-कीट हॉर्मोन एनालॉग।

पीड़कनाशियों के प्रकार (Types of Pesticides)

लियानाशियों को रासायनिक पीड़कनाशी तथा जैव-पीड़कनाशी वर्गों में विभक्त किया जा सकता है

रासायनिक पीड़कनाशी (Chemical Pesticides)

वे रासायनिक पदार्थ जो कीटों, रोगाणुओं, घासों, निमेटोड्स तथा अन्य हानिकारक जीवों को मारने के लिए प्रयोग किए जाते हैं, रासायनिक पीड़कनाशी कहलाते हैं। प्रथम व्यवसायिक पीड़कनाशी मिलारडेट (Millardet; 1882) ने बॉर्डेक्स मिश्रण (Bordeauxmixture) के रूप में खोजा था। बॉक्स मिश्रण कॉपर सल्फेट, कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड (CaCO3 का जलीय विलयन) तथा जल का मिश्रण है।

बरगण्डी मिश्रण में CaCO3, के स्थान पर सोडियम कार्बोनेट (Na2CO3) का प्रयोग किया जाता है। पीड़कों के आधार पर रासायनिक पीड़कनाशियों के निम्न प्रकार होते हैं

(i) कवकनाशी (Fungicides) ये कवक रोगजनकों को मारते हैं; जैसे-बॉर्डेक्स मिश्रण (Bordeaux mixture), कार्बामेट्स (carbamates), एन्टीबायोटिक (antibiotic), आदि।

(ii) सरपतवारनाशी (Weedicides) ये खरपतवारों (weeds) को नष्ट करते हैं; जैसे-आर्सेनिक, सोडियम सल्फ्यूरिक एसिड, पैराक्यूट (paraquat), डाइक्यूट (diquat), प्रोफन (prophan), एट्राजीन (atrazine), प्रोपाजीन (propazine), आदि।

(iii) कीटनाशी (Insecticides) ये कीटों (insects) को मारते हैं; जैसे-DDT, रोटिनॉन (rotenone), जिंक फॉस्फाइड (zinc phophide),m आदि।

(iv) कृमिनाशी (Nematicides) ये कृमियों (nermatodes) को मारते हैं; जैसे-इथाइलीन डाइब्रोमाइड (ethylene dibromide). एवोघोष (ethioprope), फोरेट (phorate), आदि।

(v) रोडेन्टीनाशी (Rodenticides) ये रोडेन्ट्स (चूहे) को मारते हैं; जैसे-वारफेरिन (warfrain), स्ट्राइकनिन (strychnine), आदि 

रासायनिक संगठन के अनुसार रासायनिक पीड़कनाशियों को निम्न वर्गों में विभक्त किया गया है

(i) ऑर्गेनोक्लोरीन (Organochlorine) ये बहुत धीमी गति से विघटित होने वाले क्लोरीन के असंख्य परमाणुओं युक्त कार्बनिक यौगिक होते हैं। ये नसीय ऊतकों से काफी समानता रखते है और शाकाहारी जन्तुओं के शरीर में जमा हो जाते हैं। जैसे-DDT. BHO, एल्ड्रिन (aldrin). एन्डोसल्फॉन (andosulphan). ग्लोरडेन (chiordane), लिन्डेन (lindane), आदि।

(ii) ऑर्गेनोफास्फेट्स (Organophosphates) ये फॉस्फोरिक अम्ल के कार्बनिक एस्टर (esters) हैं। ये पीड़कों के तन्त्रिका तन्त्र को प्रभावित करते है। ये तन्त्रिका तन्त्र के एन्जाइम एसीटाइल कोलीनेस्टरेस (acetyl cholinesterase) की क्रिया को सन्दमित करते हैं, जिससे पैरालाइसिस (parayisis) तथा मृत्यु हो जाती है, जैसे-मेलाथिऑन (melathion), पैराथिऑन (parathion) तथा फेनिट्रोथिऑन (fenitrothion)|

(iii) कार्बामेट्स (Carbamates) ये कार्बोनिक अम्ल से उत्पन्न होते हैं। इनकी संरचनात्मक व्यवस्था एसीटिलकोलिन के समान होती है. ये कार्यविधि में ऑर्गेनोफॉस्फेट्स के समान होते हैं, जैसे कार्बारिल (carbaryl), कार्बोफ्यूरोन (carbofuron), एल्डीक्रेब (aldicarb) तथा प्रपोक्सर (propoxure) या वेगान (baygon)

(iv) पाइरीनोइड्स (Pyrethroids) ये पाइरीथिन के संश्लेषित व्युत्पन्न होते हैं, जो वाइसेन्धेमम सिनेरेरिफोलियम (Chrysanthemum cinerantolium) से निकाले जाते हैं।

(v) द्राइजीन्स (Triazines) इस समूह के खरपतवारनाशी यूरिया से उत्पादित किए जाते हैं। ये चाय, तम्बाकू तथा कपास की फसलों के खरपतवारों के नियन्त्रण में प्रयोग होते हैं। जैसे-सीमाजीन (simazine), एट्राजीन (atrazine)|

जैवपीड़कनाशी (Biopesticides)

कीटों को भगाने, मारने या नष्ट करने के लिए प्रयुक्त जीवों (जन्तुओं तथा पादपों) अथवा इनके उत्पादों को जैव पीड़कनाशी (biopesticides) कहते है। जीवजानिक नियन्त्रण की यह विधि रासायनिक कीट नियन्त्रण से अधिक प्रभावी और लाभदायक है। ये भूमि की रासायनिक प्रकृति को नहीं बदलते हैं। जैव पीटकनाहियों को दो भागों में बाँट सकते हैं

1. जैवशाकनाशी (Bioherbicides) ये, वे पदार्थ है, जो खरपतरवारों की वृद्धि कम कर उन्हें नष्ट करते हैं। जैसे-ऑस्ट्रेलिया तथा भारत में मागफनी को रोकने के लिए कैक्टोब्लास्टिस कैक्टोरम नामक कीट तथा नींबू के बगीचे में उगने वाले खरपतवार (milkweed) को नष्ट करने के लिए फाइटोप्थोरा पालियोरा नामक कवक का प्रयोग किया जाता है।

2. जैवकीटनाशी (Bioinsecticides) यह जीव या जैविक उत्पाद, जो कीटों को नष्ट करने के लिए प्रयोग किए जाते हैं। कुछ जैव कीटनाशी निम्नलिखित है

(i) परभक्षी जीव (Predators) नाशक कीटों या पादपों के पीड़कों को उनके प्राकृतिक परभक्षी जीव नष्ट कर देते हैं। कीटों के इन प्राकृतिक शत्रुओं का कृत्रिम जनन द्वारा गुणन कराने पर, ये निश्चित समय पर बाहर आते हैं, जैसे-हुबर मक्खी के लारया पौधों के एफिड्स को खाकर नष्ट कर देश हाकेटी या रोडोलिया कानेिलिस फ्लूटेड स्केल कीट (fluted scale insect) का भक्षण करता है। मच्छरों के लारवा को रोकथाम के लिए बसिया माली का प्रयोग किया जाता है।

(ii) जन्तु परजीवी तथा रोगवाहक (Animal parasites and pathogens) कुछ कीटों को उनके परजीवियों द्वारा नष्ट किया जाता है जैसे नारियल के पीड़क नेफेन्टिस सेरिनोपा के दो परजीवी पेरिसेरोला नेफेन्टिडिस तथा ट्राइकोस्पाइलस प्यूपीबोरा है। गन्ने के तने बेधक किलो इन्टिकस को परजीवी ट्राइकोग्रामा आस्ट्रेलिकम नष्ट करता है।

(iii) कीट हॉर्मोन (Insect horrmone) प्रजनन काल में एक लिंग के कीट दूसरे लिंग के कीटों को आकर्षित करने के लिए कुछ रासायनिक पदार्या सावित करते है, जिन्हें फेरोमोन्स कहते हैं।

प्राकृतिक एवं संश्लेषित फेरोमोन नर कीटों को ट्रेप (trap) की ओर आकर्षित करते हैं, जिसमें फंसकर कीट मर जाते है।
सनीति तकनीक (confusion technique) में नर कीट को आकर्षित करने वाले फेरोमोन युक्त पेपर को खेत में डाल देने से नर कीट मादा रेट तक नहीं पहुँच पाते। आजकल कीटों को बड़ी संख्या में पकड़कर मार डालने के लिए फेरोमोन्स जाल प्रयोग किए जाते हैं।

एक्डीसोन (Ecdysone) जुवेनाइल हॉर्मोन (juvanile hormone) तथा मोल्टिंग हॉर्मोन (moulting hormone) विधि द्वारा कीटों (insects) प्रारम्भिक अवस्था में उपयोग करने से जीव की परिपक्वता (maturity) का समय बढ़ जाता है।

प्राकृतिक कीटनाशी (Natural insecticides) ये कीटनाशी कवक या पादपों से प्राप्त किये जाते हैं, से हानिकारक नहीं होवे तथा इनका अपघटन हो सकता है; जैसे-एजाडाइरेक्टिन एजाठाइरेक्टा इण्डिका से, रोटीनॉन (rotenone) डेरिस इलिप्टिका की जड़ो से पाइरेथ्रम Chrysanthemum सिनेरेरिफोलियम से तथा थूरीओसाइड (thurioside) बेसिलस थूरिन्जिएन्सिस से प्राप्त किया जाता है।

बन्याकरण नियन्त्रण बन्य नरों की आबादी उत्पन्न करके स्वर्म नामक मुख्य कीट का उन्मूलन किया गया है और प्राकृतिक जनन योगा सदस्यों के बीच में प्रतियोगिता हेतु इनहें छोड़ा जाता है, जिसके फलस्वरूप कीटों की संख्या में कमी आती है।

पीड़क नियन्त्रण (Pest Control)

समाकलित पीड़क प्रबन्ध (Integrated pest management) के अन्तर्गत पीड़क नियन्त्रण निम्न विधियों द्वारा होता है

 (i) क्वेरेन्टाइन (Quarantine) इसमें पौधों, अनाजों या फलों को एक देश से दूसरे देश में कुछ नियमों व परीक्षणों के तहत ले जाया जाना चाहिए, जिससे पीड़क साथ न जाएँ।

(ii) यान्त्रिक नियन्त्रण (Mechanical control) इसके अन्तर्गत कीटों व कृन्तकों को पकड़कर मारना, खरपतपवार व पौधों के संक्रमित भागों को उखाड़कर मिट्टी में दबाना, जलाकर नष्ट करना, आदि शामिल हैं।

(iii) संवर्धन नियन्त्रण (Cultural control) इसके अन्तर्गत फसल को जल्दी या विलम्ब से बोना, ट्रेप फसलों का बोना, फसलों का चक्रण (rotation of crops) शामिल हैं।

(iv) प्रतिरोधी किस्मों का प्रयोग (Use of resistant varieties) पीड़कों के संक्रमण से बचने के लिए पीड़क प्रतिरोधी किस्मों का प्रयोग करना चाहिए।

(v) जैविक नियन्त्रण (Biological control) इसके अन्तर्गत पीड़कों का नियन्त्रण उनके भक्षकों तथा परजीवियों द्वारा किया जाता है।

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