Protochordata

Protochordata
(प्रोटोकॉर्डेटा)

कॉर्डेटा संघ की स्थापना बेलफोर (Balfour) ने सन् 1880 में की थी। सभी कशेरुकियों में स्पष्ट सिर होता है और इनके शरीर को दो समान भागों में बाँटा जा सकता है। इनमें गुदा से पीछे का शरीर का ठोस भाग पूँछ कहलाता है।

इनकी भूणीय अवस्था में स्पष्ट विखण्डीकरण (segmentation) पाया जाता है। सभी कशेरुकियों में हृदय अधर तल पर स्थित होता है तथा बन्द परिवहन तन्त्र तथा निवाहिका तन्त्र (portal system) पाया जाता है। सभी कशेरुकियों में वास्तविक देहगुहा (true coelom) पाई जाती है तथा अस्थियों तथा उपास्थियों का अन्तः कंकाल (endoskeleton) उपस्थित होता है।

प्रत्येक कार्डेट्स के जीवन की किसी न किसी अवस्था में नोटोकॉर्ड (notochord) पृष्ठ नालाकार तन्त्रिका रज्जु (dorsal tubularnerve cord) एवं ग्रसनीय गिल दरारों (pharyngeal gill slits) की उपस्थिति पाई जाती हैं। ये तीनों प्राथमिक लक्षण अवस्था में अनुपस्थित या रूपान्तरित हो जाते हैं। वर्टीब्रेट्स में नोटोकॉर्ड से कशेरुकदण्ड (vertebral column) पृष्ठ नालाकार तन्त्रिका रज्जु से तन्त्रिका नाल (neural canal), जिसका अग्र भाग मस्तिष्क तथा पश्च भाग से मेरूरज्जु (spinal cord) का निर्माण होता हैं, जबकि निम्नस्तरीय कॉर्डेट्स व प्रोटोकॉर्डेटा में गिल दरारें जीवन पर्यन्त पाई जाती हैं तथा उच्च स्तरीय कॉडेंट्स के वयस्क में अनुपस्थित होती हैं। संघ-कॉर्डेटा को एक्रेनिएटा (प्रोटोकॉर्डेटा) एवं क्रेनिएटा (वर्टीबेटा) में वर्गीकृत किया जाता है।

नोट- एक्रेनिएटा में खोपड़ी (cranium) का अभाव होता है। एकेनिएटा जन्तुओं को पुनः तीन उप-संघ-हेमीकॉडेंटा, यूरोकॉडेंटा एवं सिफेलोकॉडेंटा में वर्गीकृत किया जाता है।

उप-संघ-हेमीकॉर्डेटा (Hemichordata)

इस उप-संघ के सामान्य लक्षण निम्नलिखित हैं

  • इस उप-संघ के जन्तु कृमि के आकार के जीभ कृमि होते हैं।
  • इनका शरीर तीन भागों शुण्ड (proboscis), कॉलर (collar) तथा धड़ (trunk) में विभाजित होता है।
  • इन जन्तुओं में परिसंचरण तन्त्र खुला होता है।
  • उप-संघ सदस्यों में कंकाल ऊतक का अभाव होता है नोटोकॉर्ड की उपस्थिति संदेहास्पद, छोटी, प्रोबोसिस में सीमित, जोकि कॉडेंट्स के पृष्ठ रज्जु के असमजात होती है। नोटोकॉर्ड की संदेहास्पद उपस्थिति के कारण इन्हें मुखीय डाइवर्टीकुला (buccal diverticula) कहते हैं, इसलिए वैज्ञानिक इसको नान-कॉर्डेटा में स्थान देते हैं।
  • इन जीवों में उत्सर्जन शुण्ड में स्थित एक केशिकागुच्छ (glomerulus) द्वारा होता है
  • ये एकलिंगी जीव हैं और इनमें परिवर्धन के समय टॉरनेरिया (tornaria) लारवा पाया जाता है। उदाहरण-जीभ कृमि या बैलेनोग्लॉसस (Balanoglossus)|

Balanoglossus

उप-संघ-यूरोकॉर्डेटा (Urochordata)

यूरोकॉडेटा के सामान्य लक्षण निम्नलिखित हैं

  • यूरोकॉर्डेट में ग्रसनी क्लोम दरारें, टेडपोल के समान लार्वा में नॉटोकॉर्ड एवं नालाकार पृष्ठ तन्त्रिका नाल तथा पृष्ठ रज्जु केवल डिम्भक की पुच्छ (भेक) में उपस्थित होती है। इसलिए इन्हें यूरोकॉर्बेटा कहते हैं, वयस्कों में कॉर्डेट लक्षण लुप्त हो जाते हैं अतः प्रतिक्रमणी रूपान्तरण (retrogressive metamorphosis) पाया जाता है।
  • इन जन्तुओं में सीलोम अनुपस्थित होती है।
  • जन्तु उभयलिंगी (hermaphrodite) होते हैं तथा प्रत्येक जनद वृषण (testis) तथा अण्डाशय (ovary) उपस्थित होती हैं।
  • इनमें उत्सर्जन हेतु नेफ्रोसाइट्स, पायलोरिक तथा न्यूरल ग्रन्थि होती है। उदाहरण-हर्डमानिया (Herdmania), साल्पा (Salpa), आदि।

उप-संघ-सिफैलोकॉर्डेटा (Cephalochordata)

इस उप-संघ के सामान्य लक्षण निम्नलिखित हैं-

  • इस उप-संघ के अधिकाँश जन्तु हेमीकॉर्डेटा तथा यूरोकॉर्डेटा दोनों उप-संघों की भाँति समुद्रीय (marine) होते हैं।
  • इन जन्तुओं का आकार मछली के समान तथा कॉडेंट्स के लगभग सभी लक्षण उपस्थित होते हैं।
  • अग्रभाग से पश्च भाग तक फैली नोटोकॉर्ड की उपस्थिति के कारण इनको सिफैलोकॉर्डेटा कहा जाता है।
  • जीवन चक्र में प्रत्यक्ष परिवर्धन पाया जाता है तथा लारवा अवस्था का अभाव होता है।
  • सिफैलोकॉर्डेटा उप-संघ के जन्तुओं में नोटोकॉर्ड एवं पृष्ठ रज्जु (nerve cord) सम्पूर्ण लम्बाई में जीवन पर्यन्त उपस्थित होती हैं।
  • इनमें पृष्ठीय खोखली तन्त्रिका रज्जु उपस्थित होती है।
  • इनमें उत्सर्जी अंग नलोत्सर्ग (solenocyts) युक्त प्रोटोनेफ्रिडिया (protonephridia) होते हैं।
  •  इनका रुधिर श्वसन वर्णक रहित होता है।
  • इनमें हृदय अनुपस्थित होता है, परन्तु रुधिर परिसंचरण तन्त्र उपस्थित होता है। उदाहरण-बैकियोस्टोमा (एम्फीऑक्सस), एसिम्मैट्रॉन, आदि।
Amphioxus
Amphioxus

उपसंघ-क्रैनिएटा या कशेरुकी (Craniata or Vertebrata)

लक्षण (Characters)

  • ये उच्च कॉर्बेटा होते हैं जिनमें मस्तिष्क के चारों ओर कपाल (Cranium) पाया जाता है।
  • इनमें पृष्ठ रज्जु, मेरुरज्जु (Spinal cord) के चारों ओर कशेरुकदण्ड (Vertebral columu) द्वारा तथा मस्तिष्क के चारों ओर कपाल द्वारा प्रतिस्थापित होती है।
  • इनका अन्तः कंकाल उपास्थि या उपास्थि एवं प्रतिस्थापित अस्थियों का बना हाता है।
  • इनका हृदय अधर भाग में स्थित होता है।
  •  इनके उत्सर्जी अंग वृक्क होते हैं।
  •  उपसंघ-निएटा में दो गण ऐग्नैथा (जबड़े रहित) तथा ग्नेथोस्टोमेटा (जबड़े सहित) है।

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